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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। सत्य सुनो तुम एक कहानी ना कोई राजा ना कोई रानी

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। सत्य सुनो तुम एक कहानी  ना कोई राजा ना कोई रानी  साधारण  शब्दों  में  कहती  संतों   की  भी  ये  है  बानी  प्यार  सभी  का  वो पाता है  जिसकी   होती  अमृतवाणी  सफल वही इंसा इस जग में  हार  कभी  ना  जिसने मानी  इतनी  दौलत  नहीं  कमाना  करनी   पड़े  जहां  निगरानी  कर  मत  झूठी  उम्मीदें   तू  आंखों  में  रह  जाता  पानी  रास  नहीं  आती  जीवन  में  अपनों  से   की  जब बेमानी  जितना जिसका जीवन सच्चा  उतनी  उसको   है  आसानी  आज कहां कल कहां तू होगा  दुनिया  है  यह  आनी जानी  डॉ. रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। परिचय है व्यक्तित्व का सरल मधुर व्यवहार। ता संदेशा भी कैसा है संस्कार।

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। परिचय है व्यक्तित्व का सरल मधुर व्यवहार । देता    संदेशा   भला     कैसा    है  संस्कार ।। हाथ  जोड़  वंदन  करें , भाव   नेह  सम्मान । अधरों पर खिलती रहे, मधुर मधुर मुस्कान ।। औरों   को  देता  सदा,  आगे  बढ़कर  मान  । दुनिया  में  उसकी बने, एक अलग पहचान ।। आडंबर  ना  हो  कभी,  निकले  जब  उद्गार । परिचय है व्यक्तित्व का सरल मधुर व्यवहार ।। सरल  सत्य  व्यवहार  से, बढ़ता सुख संतोष । भूले  से  मिलता  नहीं,  वाणी  में  भी  दोष  ।। अपना  हृदय  बनाइए,नभ  की तरह विशाल । बने  जगत  में  आपकी, केवल एक मिसाल ।। सुंदर  जीवन  का  सदा, करे जगत मनुहार  । परिचय है व्यक्तित्व का सरल मधुर व्यवहार ।। संत  सभी  जन  कह  गए, इंसा वही महान  । सुख  दुख में करता...

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। खुद से मिलना अच्छा लगता है

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खुद से मिलना अच्छा लगता है समय न जाने कहां सिमटकर रह गया था आज कर लिया अपनी मुठ्ठी में  मैंने लें लिए वापस एक एक लम्हे, जो खर्च किए थे, चुरा लिए मैंने आज सांस खुलकर लेना अच्छा लग रहा है  खुद से बातें करना, खुद से मिलना  बहुत अच्छा लग रहा है अच्छा लगा अपना घर वापस आना  अब कोई और नहीं है मेरी जगह सिर्फ मैं हूं,जिधर देखती हूं मेरी अपनी दुनिया है, अपना साया है, खुद से मिलने का वक्त ही वक्त है। अगर वक्त इतना तेज न होता तो क्या होता तो शायद व्यक्ति थोड़ा और अंधेरे में भटकता और फिर खुद को समेटता रहता । सच है कि कुछ खोकर ही हम कुछ पाते हैं थोड़ा मोह त्याग दो फिर देखो अपने मन के  अंदर की शांति, खुद को हर बेचैनी से मुक्त पाओगे  कोशिश करो इस प्रयास से तुम जरूर जाग जाओगे  वक्त लगेगा, कदम भी आहिस्ता उठेंगे, मन भी पीछे  भागेगा। बस तुम एक बात याद रखना और मन से प्रश्न  करना कि क्या अब भी तुम झूठ में ही खुद को व्यस्त  रखना चाहते हो? क्या अंधेरा से निकल कर फिर से  उजालों में नहीं रहना चाहते? अगर हां तो आज से अभी  से बदल दो खुद को,देख...

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई हैं।आज की पंक्तियां।

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई हैं ......आज की पंक्तियां। समझने में तुमको जमाने लगेंगे  हमारा है क्या हम बताने लगेंगे  जिन्हें प्यार दोगे ज़रूरत से ज़्यादा  वही दिल तुम्हारा दुखाने लगेंगे  जहां तुम को उम्मीद होगी किसी से  वहां  आंख  सारे  चुराने   लगेंगे  नहीं साथ देगा  मुसीबत  में कोई  नसीहत की झड़ियां लगाने लगेंगे  ज़रा उठ कर देखो ज़माने से हटकर  कि  मिलकर तुम्हें सब गिराने लगेंगे  अगर सीधे सच्चे हो इंसा जगत में  कहीं  ना  कहीं  फिर सताने लगेंगे  ज़रा सा जो रुख तुमने बदला किसी से  ज़माने  में  तुमको  झुकाने  लगेंगे  रहेंगे जो संसार में अब संभल कर  कि खुशियों से वो मुस्कुराने लगेंगे  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। ज़िंदगी नदी है कि बहती जाती है चाहने से भी कहीं रुक न पाती हैं

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। ज़िंदगी  नदी  है  ,कि  बहती  जाती है  चाहने  से  भी  कहीं , रुक न  पाती है मुस्कुराहट की ,भी अजीब फितरत है जितना कहती  है,  उतना छिपाती  है  दर्द  के  छाले  थे , तमाम  निकले  भी हंसी  से  उन  पर,  मरहम  लगाती  है  ग़मों का दरिया, तेज़ जितना हो मगर क्यूं जिंदगी  साथ,  ही बहती जाती है  फ़ख्त पल दो पल ही ,इश्क़ का दौर था उम्र  भर  के  क्यों  तू,  सपने सजाती है कुछ न  रक्खा ,दुनिया तमाम बातों में  अपने कर्मों  से  ,सब  कुछ  कमाती है  ग़मों का रोना क्यों, लेकर बैठी 'रश्मि' जिंदगी के  बाद  , मौत जरुर आती है  डा. रश्मि दुबे गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।बहुत पुरानी ग़ज़ल।हुस्न का चलता हुआ बाजार देखाहर गली में बिकता हुआ, प्यार देखा

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। बहुत पुरानी ग़ज़ल। हुस्न का  चलता  हुआ बाजार देखा हर गली में बिकता हुआ, प्यार देखा लोग मिलते  ,प्यार  से  मुस्कुराते हैं दोस्ती का  फैला  सा  व्यापार देखा दम  भरोसे  का जो भरते थे हमेशा दिल को उनसे होता ज़ारज़ार देखा नुक्कड़   पे  बैठे  जो  भूखे  भेड़िये क्यों उनको सबने  ही बार बार देखा उजाड़  कर  बैठे  घर  जो गरीबों के  घर  उन्हीं   का  मैंने  गुलजार  देखा हवेली  की  हवा  में  उड़  गये  पीछे खिलखिलाता उनका ही संसार देखा कुछ भी कह ले बेरहम दुनिया "रश्मि" मैंने  खुदा  का  करम   हर बार देखा डा. रश्मि दुबे गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।दिलों में सबके हिंदुस्तान बसता है यही इक ख्वाब आंखों में सजता है।

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। दिलों में  सबके  हिंदुस्तान  बसता है  यही इक ख्वाब आंखों  में  सजता है किया करते  भले  हिंदू  मुसलमां हों मगर मिलकर सभी  से देश बनता है  रहे  कोई  किसी भी  कोण में जाकर कि बातों में अपनी बस देश गुनता है भले   सोये   गरीबी   में   बिना  रोटी  करे कुछ भी भला भारत का करता है यही  दस्तूर  भारत  के   है  लोगों  का कि जो खुद है वही सबको समझता है भरा आया जो सदियों से खून में अपने चला है अब तलक और वही चलता है यही कारण रहा  है  हर कदम "रश्मि" ज़माने  को  हमारा  होना  खलता  है  डा. रश्मि दुबे गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। आप सभी मित्रों को गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 जय हिन्द जय भारत 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 आप सभी मित्रों को गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।  🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 गणतंत्र पावन पर्व सबको हो मेरी शुभकामना  उन्नत रहे यह विश्व में  हे ईश है यह कामना  शांति हो चारों तरफ  चारों तरफ सद्भावना  शीश इसके हो तिरंगा  चरण गंगा पावना  सब बनें उत्कृष्ट सब में  रहे प्रेम की भावना  कर्तव्य समझें और हो  अधिकार की संभावना  हो न कोई धर्म भेद  न कभी आलोचना  हिंदू मुस्लिम सिख इसाई  मिल करें आराधना  गणतंत्र हो यह शुभ सभी की  हो सदा परिकल्पना  अर्श हो या फर्श  मिल सब देश को तराशना  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। पष्प भरे पराग से हिय भी करे हिलोर पीत वसन धरती ओढ़ेकोयल करती शोर

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। मित्रों कल बसंत पंचमी है और बसंत ऋतु का पहला दिन ।तो कुछ पंक्तियां इस खूबसूरत और नेह से ओतप्रोत माह के नाम  पुष्प भरे पराग से  हिय भी करे हिलोर  पीत वसन धरती ओढ़े कोयल करती शोर  मधुरस अरु मकरंद से  पुष्प पल्लवित आज  रूप सरोवर देखकर  राधा करती लाज  अंग अंग है आनंदित  हर्ष हुआ चँहु ओर  प्रणय करे मधुकर जहां  हृदय चला उस ओर  नयनों में ले नेह को आया है चितचोर हुआ हृदय है बावरा कहिं भ्रमर कहिं मोर धूप सुनहरी भी लगे  नहीं हर्ष का अंत  कैसा सखि आनंद है  कैसा यह  बसंत  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखे। सुनो दिल लगाने के दिन आ रहे हैं कि लुटने लुटाने के दिन आ रहे हैं

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। सुनो दिल लगाने के दिन आ रहे हैं  कि लुटने लुटाने के दिन आ रहे  हैं  चलेंगीं  हवाएं  जो  मदमस्त  होकर  कि बिन बात गाने के दिन आ रहे हैं  खिली चांदनी और खिली धूप होंगी  कि मिटने मिटाने के दिन आ रहे हैं  बहकने से रोके कोई मेरे दिल को  कि सपने सुहाने के दिन आ रहे हैं  सुकूं रात में है न चैना दिनों को  कि सजने सजाने के दिन आ रहे हैं  कहेंगी हवाएं चलो प्रिय से मिल लें कि मिलने मिलाने के दिन आ रहे हैं  हुआ जा रहा है ये मौसम बसंती  कि जलवे दिखाने के दिन आ रहे हैं  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।ना ग़मों को कभी भी हवा दीजिए हों परेशानियां मुस्कुरा दीजिए

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। ना ग़मों को कभी भी हवा दीजिए  हों परेशानियां मुस्कुरा दीजिए  बोझ जब भी लगे दिल पे भारी ज़रा  दर्द अपना किसी को बता दीजिए  जब सताने लगे हार का डर कभी  हार को हौसलों से हरा दीजिए  फासले हो गए हों जो रिश्तो में तो  हाथ अपना खुदी से बढ़ा दीजिए  जिंदगी को जियें जिंदगी की तरह  बात सारे जहां को सिखा दीजिए  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। हुनर जिसको जीने का आता नहीं ये सच है उसे कुछ सुहाता नहीं

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।  हुनर जिसको जीने का आता नहीं  ये सच है उसे कुछ सुहाता नहीं  जिसे ठोकरें  हों मिली उम्र भर  वो रिश्ता किसी से निभाता नहीं  छिपा रक्खे दिल में भले दर्द हों  मगर वह किसी से बताता नहीं  ज़माना उसे आजमाता रहे  किसी को मगर वह सताता नहीं  हो तूफान सी जिंदगी भी मगर  किनारे पे कश्ती लगाता नहीं  जिसे हौसलों का हो परचम लगा  वो जीवन में फिर लड़खड़ाता नहीं  हों रोशन दिए जिसके दिल में सदा  अंधेरा उसे तब डराता नहीं  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।मित्रों मौनी अमावस्या की अनेकानेक शुभकामनाएं। यह दिन आप सभी के लिए शुभफलदाई हो।

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। मित्रों मौनी अमावस्या की अनेकानेक शुभकामनाएं। यह दिन आप सभी के लिए शुभफलदाई हो । सुख  से  बैठे  भी ज़माना हो गया  क्या करें मुश्किल कमाना हो गया  हम   ज़माने  से  नहीं  मुस्काए  हैं  अब खुशी भी इक फ़साना हो गया  ग़म  का  रोना  रोज़ लेकर बैठें क्यूं  रोज़  इसका  आना  जाना हो गया  जो  हुआ  करता  था  मेरा निगहबां  आज  वह  हमसे  बेगाना  हो  गया  है सियासत का बहाना  आज फिर  हर  कोई  इसका  निशाना हो गया  आ  चलें  ए  दोस्त  आगे  हम  बढें रोना - धोना  अब  पुराना  हो  गया  ग़म  मिले  या  फिर  खुशी मंजूर है  हमको  जीने  का  बहाना  हो  गया  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें नित्य उन्नत भाव संचार दो। ईश मुझको ही सदा सुविचार दो ।।

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें आज एक नये छंद का प्रयोग।                       ग्रंथि छंद             नित्य  उन्नत  भाव  का संचार दो । ईश मुझको ही सदा सुविचार दो ।। ज्ञान  का   मेरे   हृदय  भंडार  दो । कष्ट पीड़ा  अरु दुखों को मार दो ।। लोभ  लालच  मोह मद से दूर हो । भक्ति  से  मन भी निरंतर चूर हो ।। पार जीवन  को  लगाऊं  ज्ञान दो । मैं  रहूं  जब तक धरा पर मान दो।। मुक्ति पथ पर मैं चलूं यह भाव हो । नित्य ही तुमसे मिलन का चाव हो।। सौम्य निश्छल नेह की भरमार हो । नेक  सच्चा  भी सदा व्यवहार हो ।। विश्व के  कल्याण का वरदान दो । अंश  उसमें  दे सकूं अरमान दो ।। कर रही  नित  हाथ जोड़े याचना । अब करो स्वीकार तुम ये प्रार्थना ।। डॉक्टर रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। मुस्कुराती ज़िंदगी में जोश होना चाहिए चाहिए फल जैसे तुमको वैसे बोना चाहिए

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। मुस्कुराती  ज़िंदगी  में जोश  होना चाहिए  चाहिए फल जैसे तुमको वैसे बोना चाहिए  है  नया  देखो  सवेरा  सामने  से  आ रहा  सूनी आंखों में सदा सपने संजोना चाहिए ज़िंदगी है आज दिन तो रात भी होगी कभी  हर समय ग़म और दुख को अब न रोना चाहिए मत बिखरने दो किसी से रिश्तों की टूटे लड़ी  एक  धागे  में  सभी  मोती  पिरोना  चाहिए  नफ़रतों के बांटते फिरते हैं फल जो आपको  प्रेम  के  दरिया  में उनको भी डुबोना चाहिए  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। प्रेम दया संसार में, होता जग आधार करके प्राणी पा सके, बदले में फिर प्यार

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। प्रेम  दया  संसार में ,  होता  जग  आधार । करके प्राणी पा सके ,बदले में फिर प्यार ।। सीखो तरुवर से सदा ,करना तुम उपकार । खाता नहीं स्वयं कभी, कितना हो फलदार ।। करतीं नदियां भी नहीं ,स्वयं सदा जलपान । आसमान करता नहीं , अपने पर अभिमान ।। सन्त न करता है कभी , चर्चा निज गुणगान । छोड़े नहिं निज सादगी , घोर मिले अपमान  ।। प्राणी  माटी  मोल  है  , माया  सब  संसार । काया माटी में मिले  ,  कर  ले कर्म सुधार ।। डा. रश्मि दुबे गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें जिंदगी जब तक चलेगी देखना बात यह तब तक रहेगी देखना

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। जिंदगी जब तक चलेगी देखना  बात यह तब तक रहेगी देखना  साथ जब तक रूह है मां बाप की  हर बला सर से टलेगी देखना  तू भले पा जाएगा सब जन्नतें  पर कमी उनकी खलेगी देखना  कामयाबी का जुनूं हो साथ में  टीस आंखों से बहेगी देखना  तू खरा सोना है भारत देश का  ये कहानी बन पड़ेगी देखना  तू जहां के जिस भी कोने जाएगा  छाप भारत की रहेगी देखना  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।मकरसंक्रांति की बहुत बहुत बधाई

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। मित्रों आज महापुण्यों का प्रताप लिए मकर संक्रांति के पावन पर्व पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।  सनातन संस्कृति में पूर्वजों द्वारा ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि प्रत्येक माह और प्रत्येक दिन एक नयी ऊर्जा लेकर आता है । हर पर्व किसी न किसी महत्व को दर्शाते हुए महत्वपूर्ण हो जाता है । ईश्वर करे आपका हर दिन उत्साह और समृद्धि से भरा हो ।  जब जब सूर्य करे  ,मकर राशि में प्रवेश  स्नान दान से न रहे ,पाप तनिक भी शेष  सूर्य चले उत्तरायण , कर के यात्रा दक्षिण  दान करें गरीब को ,अंश करें कुछ अर्पण पूजा-पाठ नहान से , मिले बहुत  ही पुण्य  जीवित होते पुण्य सभी ,दोष सभी हों शून्य स्तुति सूर्य उपासना, तिल और गुड़ का दान  स्नान करें तर्पण कर दें, पितरों को दें मान  करें जरूरतमंद को , यथाशक्ति का दान  मकर संक्रांति पर्व तभी ,पाएगा सम्मान डा.  रश्मि दुबे  गाजियाबाद

कुछ वक्त लेके खुद को खंगालें कभी-कभी थोड़ा सही पर वक्त निकालें कभी-कभी

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कुछ वक्त लेके खुद को खंगालें कभी-कभी  थोड़ा  सही  पर  वक्त  निकालें कभी-कभी  बैठे    रहें   तन्हाइयों   में   क्यों   गुरुर   में  बिगड़ी  है  कोई  बात  संभालें  कभी-कभी  किसने  कहा  हर बात का उत्तर लिए फिरें  जज़्बात अपने  दिल में दबा लें कभी-कभी  गलती  को  दरकिनार  करें  छोड़  दे  अभी  इस  तरह  से  रिश्ते को बचालें कभी-कभी  खुशियां  है  बेवफ़ा  सदा  ही साथ  छोड़तीं ग़म का ही बोझ हंस के उठा लें कभी-कभी  छोटी  सी  जिंदगानी  है  शिकवे  शिकायतें  मिलकर खुशी के गीत भी गालें कभी-कभी  डॉ रश्मि

लड़की अपने बॉयफ्रेंड से पूछती है एक लड़की और एक लड़के की प्रेम कहानी

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लड़की अपने बॉयफ्रेंड से पूछती है - अच्छा किसी दूसरे लड़के से मेरी शादी हो जाए तो तुम क्या करोगे  लड़का - तुम्हें भूल जाऊंगा (लड़के ने बहुत छोटा सा जवाब दिया )  ये सुनकर लड़की गुस्से में दूसरी तरफ घूम कर बैठ गई फिर लड़के ने कहा - सबसे बड़ी बात कि तुम मुझे भूल जाओगी जितना जल्दी मैं तुम्हें भुला सकूंगा उससे ज्यादा जल्दी तुम मुझे भुला दोगी ! कैसे? लड़की ने पूछा   लड़के ने बोलना शुरू किया - "सोचो शादी का पहला दिन है तुम एक तरह के घर में हो शरीर पर जेवर चेहरे पर मेक अप चारों तरफ कैमरे का फ्लैश और लोगों की भीड़ जहां तुम मुझे चाह कर भी याद नहीं कर सकती!  "और मैं तुम्हारी शादी की खबर सुनकर दोस्तों के साथ कुछ उटपटांग पी कर किसी कोने में पड़ा रहूंगा और फिर जब मुझे होश आएगा तब मैं तुम्हें धोखेबाज बेवफा बोलकर गाली दूंगा ! " "फिर जब तुम्हारी याद आएगी तो दोस्त के कंधे पे सरकार रख के रो लूंगा ! " शादी के बाद तुम्हारा बिजी टाइम शुरू फिर तुम अपने पति और हजार तरह के रस्मों को निभाने में बिजी रहोगी. फिर कभी कभी तुम्हें मेरी याद आएगी जब तुम अपने पति का हाथ पकड़ोगी उसके ...