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Top University for MBA Online USA with List

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थोड़ा वक्त चुरा लू

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थोड़ा वक्त चुरा लूं सोचती हूं आज, कि खुद का हिसाब कर लूं   कितने हिस्से में बंट गई हूं  किसके हिस्से से कट गई हूं  अब बच गई किसके हिस्से में हिसाब बराबर कर लूं  मन करता है वक्त से  थोड़ा वक्त चुरा लूं  रूठे अपने मन को  प्यार से मना लूं  थके हुए इन कदमों को मंजिल तक ले जाऊं दुनिया के झंझावातों से अब मुक्त मैं हो जाऊं।।

जीवन धार क्या है।

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जीवन धार गहरी  शांत, कहीं  हलचल  निश्चल अपनी धुन में  निरंतर बहती  रहती, कभी न रुकती जीवन धारा  कभी लगाती  सीने से गम, कभी  महकती मन में  मुश्किलों से लड़कर, अविचल बहती जीवन धारा सुख दुख तो  साथी हैं, जीवन  इसके बिना अधूरा  जीवन के नए आयामों को, ढूंढती  है जीवन धारा  है थकना मना सफर में, चलो, करो लक्ष्य को पूरा  नहीं कोई किनारा इसका, है अंतहीन जीवन धारा   आंसू में डूबे  सपनों  को, सच  करती जीवन धारा  नींद को हराकर, मंजिल पर ले  जाती जीवनधारा  नैतिक मूल्यों  को  समझो, कहती  है जीवन धारा  गगन तो गगन है, धरा पर  टिकना ही जीवन धारा।।

करो कुछ कर्म करो,अब समय गंवाने से क्या होगा।

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करो कुछ कर्म करो,अब समय गंवाने से क्या होगा । आखिर घर में बैठे-बैठे, गाल बजाने से क्या होगा ।। सच की कीमत घटती हरदम,       चौराहों पर बिकवाली है हिंसा शाम सवेरे फैली,       रातें भी होती काली हैं रोज दुशासन भी बैठा है,        पांचाली के चीर हरण को। दुनिया खड़ी तमाशा देखे,        मरते हैं सब आप भरण को। अगणित दुख हैं दुनिया में पर,आज गिनाने से क्या होगा। आखिर घर में बैठे-बैठे गाल बजाने से क्या होगा।। भाई है भाई का दुश्मन ,         बढ़ती दूरी कटते हैं मन  जाति धर्म के होते झगड़े,        घायल मन अरु छिलता है तन।। भाषा गढ़तेअधिकारों की,         तब कर्तव्यों की कौन कहे। सीधा सच्चा इंसान ही अब,  दुनिया के सारे कष्ट सहे।। आज हुआ सुख सपने जैसा, महिमा गाने से क्या होगा। आखिर घर में बैठे-बैठे, गाल बजाने से क्या होगा।। धन दौलत की चकाचौंध में ,       धर्म भुलाए बैठे हो क्यों। निज ढपली निज राग बजाते,       ...

तेरे चेहरे की ये मुस्कान

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तेरे चेहरे की ये मुस्कान इस मुस्कान में छिपा तेरा यूँ शरमाना, तेरे हाथों में लगी ये मेहंदी इस मेहंदी को देख तेरा यूँ इतराना, तेरे कानों में सजी ये सुंदर बालियां इन हवाओं से तेरी बालियों का यूँ लहराना, लाल साड़ी में सिमटा तेरा ये यौवन इस यौवन पर तेरा यूँ इठलाना, तेरी खुली घनी काली ज़ुल्फ़ें इन ज़ुल्फ़ों को समेटने की कोशिश करता ये गुलाब, मेरे क़रीब इतना क़रीब हो तुम ये हक़ीक़त है या है बस मेरा एक ख़्वाब  आ कि तुझे पहना दूँ पाजेब मैं मख़मली ख़ूबसूरत तेरे इन पाँव में, मेरे निश्चल प्रेम की बेड़ियाँ समझ तुम इन्हें स्वीकार कर लेना, गर यकीं हो मेरी चाहत पर तो मेरा हाथ थाम तुम मुझे अपना लेना" Photo Courtesy: मधुशाला मंच

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।सब हथियार सजा कर रखपकड़ सदा बुनियादी रख

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। सब हथियार सजा कर रख पकड़  सदा  बुनियादी  रख  चेहरे    पर  मुस्कान  सजा  खुद  का दर्द छुपा कर रख  लड़ना   भी   मजबूरी    है  दिल में जोश बचा कर रख  लाख    अंधेरा   गहरा   हो  दिल का दीप जला कर रख  तेरे     रस्ते     जो     आए  जड़ से  उसे मिटा कर रख ईश्वर   का   ले  नाम   सदा  मन  में  उसे  बसा कर रख  चोला   छोड़कर   जाना   है  इतना  पुण्य  कमा  कर रख 

जब आप परेशानियों से घिर जाते हैं और उससे निकलने का कोई रास्ता न मिलता हो तो करे ये उपाय

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दर्द सबको होता है जब आप परेशानियों से घिर जाते हैं और उससे निकलने का कोई रास्ता न मिलता हो, कोई मदद करने वाला न हो, तो ऐसी परिस्थितियों से निकलने के लिए आपके पास एक ही रास्ता बच जाता है और वह है खुद में मजबूती लाना, फिर देखिए आपको हर परेशानियों से लड़ने और निकलने की ताकत मिल जाएगी। दर्द और तकलीफ से भी कई सीखें मिलती है। कोई जब आपको तकलीफ़ देता है तो उस समय बुरा भी लगता है और बेचैनी भी होती है पर दूसरी तरफ आपको अपने सामर्थ्य को जानने का मौका भी मिलता है। आप किसी के दिए हुए दर्द या परेशानियों को किस तरह और कितना सहते हैं और फिर उससे कैसे बाहर निकलेंगें, खुद को इसका अंदाजा अवश्य होना चाहिए।  दर्द सब को होता है, शारीरिक, मानसिक, किसी की बात का, किसी के बुरे व्यवहार का, कुछ दिखाते हैं कुछ नहीं दिखाते पर दर्द दोनों को ही होता है। ऐसी बात नहीं की मजबूत होने का मतलब दर्द महसूस न करना है। सच मानिए तो वास्तव में सबसे मजबूत लोग वही होते हैं जो इसे महसूस करते हैं, समझते हैं, और इसे स्वीकार करते हैं। इसलिए अपने सामर्थ्य को जानिए और अगर यह आप में नहीं है तो खुद को उस काबिल बनाइए।

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। और देते तुम्हें तो क्या देते हाथ उठते तो बस दुआ देते

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। और  देते तुम्हें तो  क्या देते  हाथ उठते तो बस दुआ देते  दो जहां मुस्कुरा ही जाते गर  तुम भी थोड़ा जो मुस्कुरा देते  रात भर रोशनी को रोए क्यों  एक दीपक खुद ही जला देते  तुमने पूछा नहीं हक़ीक़त को  आज कहते तो हम बता देते  साथ जो  दो कदम चले होते  हम भी क्या हैं तुम्हें जता देते  एतबारों  का  दौर  चलता तो  हम भी क्या है अजी दिखा देते  नाम  लेते  नहीं  तुम्हारा पर  एक  पूरी  ग़ज़ल  बना  देते 

अपने जीवन साथी को दोस्त कैसे बनाऊ

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पति नही चाहिए दोस्त चाहिए  सुबह उसके डर से उठ कर नही बनानी चाय अलसा जाना है कहना है यार बना दो न आज तुम चाय पति नही चाहिए जो क्या पहनू, बाहर न जाउ, किसी से बात न करूं, बस उसके हिसाब से जीवन जियूँ,  दोस्त चाहिए , जो कहे कि ऐसे ही तो पसंद किया था इन्ही खूबियों( अब कमिया है)के साथ वैसे ही रहा करो!! पति नही चाहिए,  के खिड़की में आँखे गाडकर मुझे किसी से बात करता देख शक की कोई पूरी कहानी बना ले चमड़ी उधेड़ देने की बात करे साली दुनियाँ भर के लोगो से बतियाती है के क्षोभ से मरता रहे,और अपना गुस्सा मुझपर निकाले, दोस्त चाहिए प्यार से पूछे और कहे यार तुम कितने जल्दी लोगों से  जान पहचान कर लेती हो न कितनी सोशल हो बात करने का संकोच नहीं तुममें मैं नही कर पाता हूँ सहज इतनी बातें पति नही चाहिए मेरे मासूम सपनों का सुन कर भी जिसकी नाराजगी की जमीन में कांटे उग आए यात्राओं में कौन आवारा औरतें है जो अकेली जाती है कमाएं हम और मौज के सपनें तुम देखो, दोस्त चाहिए खुद हो कहे कभी दोस्तो के साथ पहाड़ की यात्रा पर जाना रुकना किसी रात उनके घर बारिशों में कभी चाय पार्टी करना बहुत बहुत अच्छ...

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।सभी को अपना बना लिया है ग़मों को कुछ यूं छुपा लिया है

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। सभी को अपना बना लिया है  ग़मों को कुछ यूं छुपा लिया है  खुदा   ने  पूछा  ये  दर्द  कैसा  नज़र  झुका सब दबा लिया है  जहां  सताया किसी ने हमको  उसी से फिर फ़िसला लिया है  नहीं    कुरेदो    पुराने   किस्से  अभी  ठिकाना नया  लिया  है  करें शिकायत क्यों हम खुदा से  चिराग़  दिल  का जला लिया है  डॉ रश्मि दुबे गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।मज़ा आने लगा जिसको भी हो ख़ार नश्तर का निकलता है वही हर रोज लेकर हार पत्थर का

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। मज़ा आने लगा जिसको भी हो ख़ार नश्तर का  निकलता है वही हर रोज लेकर हार पत्थर का  रही हो बाजुओं में दम खुदी के हौसलों से जब  नहीं वो राह तकता है कभी अपने मुकद्दर का नहीं बेचैन होता है वो दुनिया के सितम लेकर  हमेशा ख्वाब देखा है ज़माने में ही बेहतर का  नहीं कुछ साथ जाता है उसे मालूम है सब कुछ  नहीं वह मोल रखता है कभी कैसे भी हो ज़र का गरीबी या अमीरी हो नहीं उसको शिकायत है  किया करता है शुकराना वही हर हाल परवर का  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।है हकीक़त आज की वह है कहा हो कोई मुझसे ख़फा तो हो ख़फा

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। है हकीक़त आज की वह  है कहा  हो कोई मुझसे ख़फा तो हो ख़फा  तुम वफ़ा के लाख किस्से छांट लो  बेवफ़ा  तो  आज  भी   है   बेवफ़ा  हम  लगा लें आस भी विश्वास की  जिसको देना है वो देगा फिर दग़ा  हौसलों को भींच  लो तुम हाथ पर कश्तियां  ले   डूबता  है  ना  ख़ुदा  इक  गुनाहों  का  ज़खीरा ले चला  एक   पाता  बेगुनाही   की   सजा  दौर  क्यों  ऐसा  ज़माने  का  हुआ  अब किधर को जाएगी पागल हवा  दर्द  क़िस्मत  की  दवा  होती नहीं  काम  शायद आएगी ही बस दुआ  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।मेरे मन की बात मेरे मित्रों के साथ।

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। मेरे मन की बात मेरे मित्रों के साथ। रविवार को दिल्ली में आयोजित एक काव्य गोष्ठी की कुछ झलकियां। मेरी  कविता ही आन बान शान हो मेरी  मेरी गज़ल गीतिका ही पहचान हो मेरी  जानती  हूं  ख्वाहिश तो ये है बहुत बड़ी साहित्य के जहां में रोज अज़ान हो मेरी  जो लिखूं जैसा लिखूं, कोई न हो आहत   मेरी लेखनी से  ज़िंदगी  बखान  हो मेरी  न चाहती  मिले सम्मान 'बड़ों' से बड़ा  कश्ती लेखन की सब के समान हो मेरी  माज़ी किनारा बनूं मैंं खुद की नैया का  मेरे हाथों में ही लेखन की कमान हो मेरी  डॉ रश्मि दुबे  गाजियाबाद

सफर अभी अधूरा है सफर अभी अधूरा है इसे पूरा करना होगा नया सबेरा आने तक अंधेरों से लड़ना होगा

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सफर अभी अधूरा है सफर  अभी  अधूरा  है  इसे  पूरा  करना  होगा नया  सबेरा  आने  तक  अंधेरों से  लड़ना होगा मत घबरा  तू  ए  मुसाफिर कभी  आंसू  न बहा    मंजिल  मिलने  से पहले  कांटों पे  चलना होगा जिंदगी  के  इस सफ़र  में , थकना  क्यूं  मना  है चाहे  पांव  ज़ख्मी  हो  जाएं रूकना  भी  मना है जब दर्द हद से बढ़ जाए, सीने से लगा लो,क्यूंकि   दिल के  सुलगते  शोलों को  हवा देना भी मना है।। पूनम झा

यादों के झरोखे अपनी यादों के झरोखे यूं ही खुला रहने दो खुद को हमसे दूर नहीं थोड़ा पास रहने दो

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यादों के झरोखे अपनी यादों  के झरोखे  यूं ही खुला रहने दो  खुद  को  हमसे दूर नहीं थोड़ा पास  रहने दो सिर्फ तेरे  ही  तलबगार  है हम  यकीन मानो  जब चाहें  तेरा दीदार हो इतनी आस रहने दो हम  जानते  हैं  तुम, दूर  बहुत  दूर  हो हमसे  फिर  भी प्यार  के एक  डोर से  बंधे हो हमसे  तुम  से दूरी  का एहसास  हर घड़ी  रुलाता है  अब  लौट  भी  आओ  न  यूं  दूर  रहो  हमसे।। पूनम झा

मुस्कुराहट बनाए रखिए अपनी यादों का स्पर्श बनाए रखिए।

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मुस्कुराहट बनाए रखिए  अपनी यादों का स्पर्श बनाए रखिए इस इनायत को हम पर बरसाए रखिए हमारे आस पास रहकर अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाते रहिए  तसव्वुर में भी नजदीकियां बनाए रखिए  बड़ा प्यारा है आशियां बसेरा बनाए रखिए अक्सर दूरियां जीते जी मार देती है इसलिए  इस आशियाने को प्यार से सजाए रखिए सुकून को कभी बे - सुकून मत होने दीजिए हमेशा होठों पर मुस्कराहट बनाए रखिए अपने प्यार की इस खूबसूरत दुनिया को अटूट विश्वास के धागे से सजाए रखिए।। पूनम झा

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। मसरूफ रहते हैं

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मसरूफ रहते हैं वे आजकल मशरूफ रहते हैं  न जाने सच है या झूठ कहते हैं  यकीं हम करते हैं आदत बुरी है मेरी मासूमियत से वो छल करते हैं दिल को बहुत समझाया हमने लगी ठेस को भी दिखाया हमने इतना जिद्दी दिल है पता न था ऐसा रुठा की उल्टे मनाया हमने  हमने तो सोचा है खुद रूठ जाऊंगी  जी भर के उन्हें मैं खूब सताऊंगी दिल में रहेगा प्यार, गुस्सा दिखाऊंगी  जब प्यार से वो मनाएंगे मैं मान जाऊंगी।। पूनम झा

अंधेरी रात के पर्दे में हमने कुछ बीते लम्हें छुपा रखा है। हिंदी साहित्य कहानी

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अंधेरी रात के पर्दे में अंधेरी रात के पर्दे में हमने  कुछ बीते लम्हें छुपा रखा है आपके तोहफे को बड़े प्यार से अपने सीने से लगा रखा है बड़े खूबसूरत होते हैं गुज़रे प्यार के एक एक लम्हें  तभी तो खामोश जुबां भी गाने लगती है प्यार के नगमे  जो खो जाते हैं, यादों में रहा करते  इस सच को हम बदल नहीं सकते  वक्त की धुंध में छुप जाते हैं ताल्लुक  हम ढूंढते रह जाते कभी नहीं मिलते ।। पूनम झा

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।तर्ज - तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो तुम्हीं हो बंधु सखा गुनगुना कर अवश्य देखिएगा।

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स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें। तर्ज - तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो तुम्हीं हो बंधु सखा  गुनगुना कर अवश्य देखिएगा। न जाने कब हो ये रात अंतिम    गिले पुराने भुला के देखो      नहीं मिलेगा कुछ दोस्त तुमको           इस दुश्मनी को सुला के देखो  दो जून की रोटी को तरसता    रहा है जो भूखा प्यासा अक्सर       कभी तो उसके भी पास जाओ           कभी उसे भी बुला के देखो  अंधेरों में कट गई जवानी     नहीं बुढ़ापे का है सहारा         कहीं किसी कोने में दिलों के              चराग़ उनके जला के देखो  नहीं बुरी है ये जीस्त उतनी     वहम तुम जितना बना कर बैठे         मिलेंगे सुर से कुछ ताल सुर के             कभी तो कुछ गुनगुना के देखो  रहे सदा ना ख़िज़ा का मौसम     करें शिकायत क्...