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Top University for MBA Online USA with List

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गुरु पूर्णिमा

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{1}✍ " जो रिश्ते सच में गहरे होते हैं वो कभी अपनेपन का शोर नहीं मचाते... ,           सच्चे रिश्ते शब्दों से नहीं दिल और आंखो से बात करते हैं.. ,           यूँ ही नहीं आती,           खूबसूरती रंगोली में ।            अलग-अलग रंगो को           "एक" होना पड़ता है। {2} किसी को खुश करने का        मौका मिले तो खुदगर्ज ना बन जाना   ...          बड़े नसीब वाले होते है वो,       जो दे पाते है मुस्कान किसी चेहरे    पर ...!            दूध का सार है मलाई मे ......!                     ...

मेघ-राग कविता

                                                          "ललिता "अय्यर बरस-बरस कर मेघो ने, किया धरा का अनुपम श्रगार             नही समा सकता नयनों में, हरितिमा का यह विस्तार। आओ प्रिय,उड़ चले बन मेगदूध देखे उमड़ती, उछलती नदिया                   म्रग-कोलाहल,कलख पंछी का,वर्षपूरित रण्ड्यावलिय आओ-प्रिय,मेघ-गर्जना में,सुने,गुनगुनाए राम-मल्हार                     चपल चंचल के नर्तन में, जगा ले सुप्त प्राणों में झंकार। इंद्रधनुष के सफ़तरँगी झूले में, झूल आये श्रीतिज के आर-पार         सशि रवि की झिलमिल कांति से, मीठा ले हम,अह,का अंधकार। देखो,धरा की सतह से ऊपर, गूंजती है चिर मोर की भाषा,           काया, माया से परे लिख दें, अमर प्रेम की नई परि...

अनमोल सुविचार जरूर देखें।

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loading... एक बार एक सेठ ने पंडित जी को निमंत्रण किया पर पंडित जी का एकादशी का व्रत था तो पंडित जी नहीं जा सके पर पंडित जी ने अपने दो शिष्यो को सेठ के यहाँ भोजन के लिए भेज दिया. पर जब दोनों शिष्य वापस लौटे तो उनमे एक शिष्य दुखी और दूसरा प्रसन्न था! पंडित जी को देखकर आश्चर्य हुआ और पूछा बेटा क्यो दुखी हो -- क्या सेठ नेभोजन मे अंतर कर दिया ? "नहीं गुरु जी" क्या सेठ ने आसन मे अंतर कर दिया ? "नहीं गुरु जी" क्या सेठ ने दक्षिणा मे अंतर कर दिया ? "नहीं गुरु जी ,बराबर दक्षिणा दी 2 रुपये मुझे और 2 रुपये दूसरे को" अब तो गुरु जी को और भी आश्चर्य हुआ और पूछा फिर क्या कारण है ? जो तुम दुखी हो ? तब दुखी चेला बोला गुरु जी मे तो सोचता था सेठ बहुत बड़ा आदमी है कम से कम 10 रुपये दक्षिणा देगा पर उसने 2 रुपये दिये इसलिए मे दुखी हू !! अब दूसरे से पूछा तुम क्यो प्रसन्न हो ? तो दूसरा बोला गुरु जी मे जानता था सेठ बहुत कंजूस है आठ आने से ज्यादा दक्षिणा नहीं देगा पर उसने 2 रुपए दे दिये तो मे प्रसन्न हू ...! बस यही हमारे मन का हाल है संसार मे घटनाए समान रूप से घटती...

मशहूर होना

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मशहूर होना लेकिन       कभी मगरूर मत होना, छू लो कदम कामयाबी के लेकिन    कभी अपनों से दूर मत होना..    जिंदगी में खूब मिल जायेगी       दौलत और शोहरत पर, अपने ही आखिर अपने होते हैं       ये बात कभी भूल मत जाना !!  

💥अनमोल सुविचार💥

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" सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता " गतांक से आगे - (281) सत्रहवाँ अध्याय : श्रद्धात्रयविभागयोग यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्‌। उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम्‌ ।।10।। खाने से तीन घंटे पूर्व पकाया गया, स्वादहीन वियोजित एवम सड़ा, जूठा तथा अस्पृश्य वस्तुओं से युक्त भोजन उन लोगों को प्रिय होता है जो तामसी होते हैं। सज्जनों, आहार का उद्देश्य आयु को बढ़ाना, मस्तिष्क को शुद्ध करना तथा शरीर को शक्ति पहुँचाना हैं, इसका यही एकमात्र उद्देश्य है, प्राचीन काल में विद्वान पुरुष ऐसा भोजन चुनते थे जो स्वास्थ्य तथा आयु को बढ़ाने वाला हो, यथा दूध के व्यंजन चीनी, चावल, गेंहूँ फल तथा तरकारियाँ, ये भोजन सतोगुणी वयक्तियों को अत्यन्त प्रिय होते है, अन्य कुछ पदार्थ, जैसे भुना मक्का तथा गुड़ स्वयं रूचिकर न होते हुये भी दूध या अन्य पदार्थों के साथ मिलने पर स्वादिष्ट हो जाते हैं, तब वे सात्त्विक हो जाते हैं। ये सारे भोजन स्वभाव से ही शुद्ध हैं, ये मांस तथा मदिरा जैसे अस्पृश्य पदार्थों से सर्वथा भिन्न हैं, आठवें श्लोक में जिन स्निग्ध यानी चिकने पदार्थों का उल्लेख हुआ हैं उनका पशु-च...

कीमती बाते

      कीमती बात एक बार मीठे हलवे की कटोरी सामने आयी...तो ऐसे ही ध्यान आया की इसमें काजू,बादाम,सूजी यह सब तो दिखाई दे रहे हैं, पर जिस चीज से इसमें मिठास हैं वह शक्कर तो कही नजर ही नही आ रही हैं... ठीक ऐसे ही हमारे जीवन में भी कुछ आप जैसे लोग हैं, जो दिखाई तो नही देते, पर उनके अपनेपन की मिठास हमारे जीवन को हमेशा आनंदित करती रहती हैं..!!                                 

मनुष्य कितना मूर्ख है |

{1} मनुष्य कितना मूर्ख है | प्रार्थना करते समय समझता है कि भगवान सब सुन रहा है, पर निंदा करते हुए ये भूल जाता है। पुण्य करते समय यह समझता है कि भगवान देख रहा है, पर पाप करते समय ये भूल जाता है। दान करते हुए यह समझता है कि भगवान सब में बसता है, पर चोरी करते हुए ये भूल जाता है। प्रेम करते हुए यह समझता है कि पूरी दुनिया भगवान ने बनाई है, पर नफरत करते हुए ये भूल जाता है। और हम कहते हैं कि मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है। {2} किसी  ने कहा  - जब हर कण कण मे भगवान है तो तुम मंदिर क्यूँ जाते हैं। बहुत सुंदर जवाब हवा तो धुप में भी चलती है पर आनंद छाँव मे बैठ कर मिलता है वैसे ही भगवान सब तरफ है पर                    आनंद मंदिर मे ही आता है।।         

एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई ।

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loading... loading...   एक सुनार  से लक्ष्मी  जी  रूठ गई ।            जाते वक्त  बोली मैं जा रही  हूँ...     और... मेरी जगह  नुकसान आ रहा है ।                        तैयार  हो जाओ। लेकिन  मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ।                                  मांगो जो भी इच्छा  हो।                       सुनार बहुत समझदार  था। उसने विनती  की नुकसान आए तो आने  दो । लेकिन  उससे कहना की मेरे परिवार  में आपसी  प्रेम  बना रहे।    ...

अकड़ होती तो।कब का टूट गया होता

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अकड होती तो,           कब का टूट गया होता, मैं था नाज़ुक डाली,           जो सबके आगे झुकता रहा.. बदले यहाँ लोगों ने,          रंग अपने-अपने ढंग से, रंग मेरा भी निखरा पर,          मैं मेहँदी की तरह पीसता रहा.. जिनको जल्दी थी,          वो बढ़ चले मंज़िल की ओर, मैं समन्दर से राज,          गहराई के सीखता रहा..!! "ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट... तू गुमान न कर... बुलंदियाँ छू हज़ार,मगर... उसके लिए कोई 'गुनाह' न कर... कुछ बेतुके झगड़े, कुछ इस तरह खत्म कर दिए मैंने... जहाँ गलती नही भी थी मेरी, फिर भी हाथ जोड़ दिए मैंने... .                                                      ...

बलत्कार की घटनाओं पर एक कविता

यह कविता रुकने न दे (मंदसौर में हिन्दू बच्ची के साथ हुयी बलात्कार की घटना पर,बलात्कारी मुसलमान इरफ़ान पर,चुप्पी साधे मिडिया,बॉलीवुड और नेताओं को धिक्कारती मेरी कविता) कठुआ में सब काठ के उल्लू पहुँच गए थे रोने को, लेकर साथ मीडिया पहुंची तकिया और बिछौने को, मोमबत्तियों की बिक्री में देखा खूब इज़ाफ़ा  था, पप्पू अपना लेकर चप्पू चला चला कर हांफा था, नाम आसिफा था,यह सुनकर सब के सब बौराये थे, रेप रेप हो गया इंडिया,सब के सब चिल्लाये थे, पूछ रहा हूँ क्यों ये नेता,अपने बेंच उसूल गए, केवल कठुआ याद रहा,पर मंदसौर को भूल गए, कठुआ में मुस्लिम की बेटी,वोट कमाऊ दिखती थी, मोदी को गरियाने वाली खबर टिकाऊ दिखती थी, लेकिन मंदसौर की घटना कोने बीच समेटी है, क्यों कि अभागन रक्त सनी वह इक हिन्दू की बेटी है, कहाँ गए वो खबरी गुंडे,न्यूज़ छिछोरे कहाँ गए, कहाँ गया झाड़ू का झंडू,टोंटी चोरे कहाँ गए, कहाँ गयी अधनंगी बॉलीवुड बालाएं कहाँ गयी, हिन्दू,मंदिर,देवी पर रोती कुल्टायें कहाँ गयीं, जंतर मंतर,गेट इंडिया के वो मंज़र कहाँ गए, आंसू-हमदर्दी,वो तख्ती पोस्टर बैनर कहाँ गए, रे पाखण्डी दुष्...

अन्तिम यात्रा Antim yatra

किसी शायर ने अपनी अंतिम यात्रा का क्या खूब वर्णन किया है..... था मैं नींद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था.... बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था.... ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में.... बच्चो की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था.... था पास मेरा हर अपना उस वक़्त.... फिर भी मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था... जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत की निगाहों से.... उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था... मालूम नही क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देख कर.... जोर-जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था... काँप उठी मेरी रूह वो मंज़र देख कर.... . जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था.... . मोहब्बत की इन्तहा थी जिन दिलों में मेरे लिए.... . उन्हीं दिलों के हाथों, आज मैं जलाया जा रहा था!!!     लाजवाब लाईनें मिली थी जिन्दगी       किसी के 'काम' आने के लिए..            पर वक्त बीत रहा है      कागज के टुकड़े कमाने के लिए..        ...

देखने का नजरिया

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Nice line....... एक मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाला  (कुम्हार) ईश्वर से कहता है....._              ⚘_"हे प्रभु तू भी एक कलाकार है और मैं भी एक कलाकार हूँ,_    ⚘_तूने मुझ जैसे असंख्य पुतले बनाकर इस धरती पर भेजे हैं,_ ⚘_और मैंने तेरे असंख्य पुतले बना कर इस घरती पर बेचे हैं।_ ⚘_पर ईश्वर उस समय बड़ी शर्म आती है, जब तेरे बनाये हुए पुतले आपस में लड़ते हैं_, ⚘_और मेरे बनाये हुए  पुतलों के सामने लोग शीश झुकाते हैं"_..     ध्यान से पढ़े कितना बड़ा सच है.           

जीवन का सच

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 ​ मन की सोच सुंदर है तो सारा संसार सुंदर नज़र आएगा, ​ ​ जिंदगी में कभी भी अपने किसी हुनर पे घमंड मत करना, ​ ​ क्यूँकी पत्थर जब पानी में गिरता है तो अपने ही वजन से डूब जाता है. ​ ​  राधे राधे

Iphone गिफ्ट दिया

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​ जो लड़किया कम कपड़े पहनती है, उनके लिये एक पिता की ओर से समर्पित :- ​ ​ एक लड़की को उसके पिता ने iphone गिफ्ट किया.. ​ ​ दूसरे दिन पिता ने लड़की से पुछा, बेटी iphone मिलने के बाद सबसे पहले तुमने क्या किया? ​ ​ लड़की :- मैंने स्क्रेच गार्ड और कवर का आर्डर दिया... ​ ​ पिता :- तुम्हें ऐसा करने के लिये किसी ने बाध्य किया क्या? ​ ​ लड़की :- नहीं किसी ने नहीं। ​ ​ पिता :- तुम्हें ऐसा नही लगता कि तुमने iPhone निर्माता की बेइज्जती की हैं? ​ ​ बेटी :- नहीं बल्कि निर्माता ने स्वयं कवर व स्क्रेच गार्ड लगाने के लिये सलाह दी है... ​ ​ पिता :- अच्छा तब तो iphone खुद ही दिखने मे खराब दिखता होगा, तभी तुमने उसके लिये कवर मंगवाया है? ​ ​ लड़की :- नहीं, बल्कि वो खराब ना हो इसीलिये कवर मंगवाया है.. ​ ​ पिता :- कवर लगाने से उसकी सुन्दरता में कमी आई क्या? ​ ​ लड़की :- नहीं, इसके विपरीत कवर लगाने के बाद iPhone ज्यादा सुन्दर दिखता है.. ​ ​ पिता ने बेटी की ओर स्नेह से देखते कहा.... ​ ​ बेटी iPhone से भी ज्यादा कीमती और सुन्दर तुम्हारा शरीर है और इस घर की और हमारी इज्जत हो तुम, ​ ...

माँ तुझे सलाम

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    माँ तुझे सलाम एक दुर्घटना में अपनी टांग को बुरी तरह से गवां बेठी "माँ" को आभास हुआ के मेरा बच्चा भूखा है तो "माँ" अपनी पीड़ा को भूल कर अपने बच्चे को स्तनपान करवाने लगी। यहीँ से साबित हो जाता है के माँ की ममता का मूल्य कोई कभी भी नही उतार सकता माँ आप धन्य हो Clik  meri-tnhaai.blogspot.in/?m=1

छोटी सी हैं ज़िन्दगी

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loading... ​​            ​ छोटी  हों लेकिन........ ​           ​ उनका लगातार बरसना ​           ​ बड़ी  नदियों  का बहाव ​           ​ बन जाता है............ ​           ​ ऐसे ही हमारे छोटे छोटे ​           ​ प्रयास निश्चित ही....... ​           ​ जीवन में बड़ा परिवर्तन ​           ​ लाने में सक्षम रहते हैं..! ​           ​ इसलिये प्रयास छोटा ही ​           ​ सही   किन्तु..,  लगातार ​           ​ होना चाहिये............!! ​ बारिश  की बूंदें भल...

Good morning sayari

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दुनिया का सबसे अच्छा तोहफा वक्त है आप किसी को अपना वक्त देते है। तो आप उसे अपनि जिन्दगी का वह पल देते है। जो कभी लौट कर नही आता 

बेटियो की कहानी।

बहुत सुन्दर लाइन Ek bar jroor pdhe meri-tnhaai.blogspot.in/?m=1 एक संत की कथा में एक बालिका खड़ी हो गई। चेहरे पर झलकता आक्रोश... संत ने पूछा - बोलो बेटी क्या बात है? बालिका ने कहा- महाराज हमारे समाज में लड़कों को हर प्रकार की आजादी होती है। वह कुछ भी करे, कहीं भी जाए उस पर कोई खास टोका टाकी नहीं होती। इसके विपरीत लड़कियों को बात बात पर टोका जाता है। यह मत करो, यहाँ मत जाओ, घर जल्दी आ जाओ आदि। संत मुस्कुराए और कहा... बेटी तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे हैं? ये गार्डर सर्दी, गर्मी, बरसात, रात दिन इसी प्रकार पड़े रहते हैं। इसके बावजूद इनका कुछ नहीं बिगड़ता और इनकी कीमत पर भी कोई अन्तर नहीं पड़ता। लड़कों के लिए कुछ इसी प्रकार की सोच है समाज में। अब तुम चलो एक ज्वेलरी शॉप में। एक बड़ी तिजोरी, उसमें एक छोटी तिजोरी। उसमें रखी छोटी सुन्दर सी डिब्बी में रेशम पर नज़ाकत से रखा चमचमाता हीरा। क्योंकि जौहरी जानता है कि अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गई तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी। समाज में बेटियों की अहमियत भी कुछ इसी प्रकार की है। पूरे घर को रोशन करती झिलमि...

आओ देखे समस्या कहां है।

*आओ देखे समस्या कहां है।* *कुछ समझने की कोशिश करें बलात्कार अचानक इस देश मे क्यो बढ़ गए ???* loading... कुछ उद्धरण से समझते हैं meri-tnhaai.blogspot.in/?m=1 1) लोग कहते हैं कि रेप क्यों होता है ? एक 8 साल का लडका सिनेमाघर मे राजा हरिशचन्द्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बडा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया। परन्तु आज 8 साल का लडका टीवी पर क्या देखता है ? सिर्फ नंगापन और अश्लील वीडियो और फोटो, मैग्जीन में अर्धनग्न फोटो, पडोस मे रहने वाली भाभी के छोटे कपडे !! लोग कहते हैं कि रेप का कारण बच्चों की मानसिकता है। पर वो मानसिकता आई कहा से ? उसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम खुद जिम्मेदार है। क्योंकि हम *joint family नही रहते।* हम अकेले रहना पसंद करते हैं। और अपना परिवार चलाने के लिये माता पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर जाना है और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिये टीवी और इन्टरनेट का सहारा लेते हैं। और उनको देखने के लिए क्या मिलता है सिर्फ वही अश्लील वीडियो और फोटो तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना ? अगर वही बच्चा अकेला न रहकर...

दफ्तर तहजीब

*दफ़्तरी तहज़ीब* ---------------------------------------- जब अॉफिस की पुरानी मैडम ने चपरासी को *'ओए'* कह के बुलाया, तो नई मैडम को उसपर तरस आया... कहा- *"आजकल के लोग जाने कहां से पढ़ कर आते हैं?* *भला 'ओए' कहकर किसी को कभी बुलाते हैं?"* बोली, *"सुनो, मैं शिष्टाचार निभाऊंगी,* *तुम्हें तुम्हारे नाम से ही बुलाऊंगी।"* चपरासी गदगद हो बोला - *"आप सरीखे लोगों का ही हम गरीबों से साथ है,* *मैडम जी मेरा नाम 'प्राणनाथ' है।"* मैडम जी सकुचाई, पलभर कुछ ना बोल पाई, फिर कहा, *"इस नाम से अच्छा न होगा तुम्हें बुलाना,* *अगर कोई पुकारने का नाम हो तो बताना ।"* चपरासी बोला, *"मेरे घर में सब मुझे दुलारते हैं,* *बीवी से लेकर अब्बा सब 'बालम' कह कर पुकारते हैं।"* मैडम की समझ में कुछ न आया, एक नया आईडिया लगाया, बोली, *"रहने दो, अब पहेलियां न बुझाओ,* *मोहल्लेवाले तुम्हें क्या कहते हैं ये बताओ।"* बोला, *"मैडम जी, सबका हम दिल बहलाते हैं,* *और मोहल्ले में 'साजन' कहलाते हैं।"* म...